मैला तन तो धोया जाये, मैले मन को धोए कौन?
हँसता है जो सबके दु:खमे, उसके दु:खमे रोए कौन?
नरम मुलायम है बिस्तर पर नींद जरा भी आयेना
पत्थर को सिर्हाने लेकर, गहरी नींद मे सोए कौन?
सब मुझको अपने लगते है, सब मुझको अच्छे लगते है
मै भी सोचू मेरी नींद में ऐसे सपने बोए कौन?
हँसता है जो सबके दु:खमे, उसके दु:खमे रोए कौन?
नरम मुलायम है बिस्तर पर नींद जरा भी आयेना
पत्थर को सिर्हाने लेकर, गहरी नींद मे सोए कौन?
सब मुझको अपने लगते है, सब मुझको अच्छे लगते है
मै भी सोचू मेरी नींद में ऐसे सपने बोए कौन?
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